हर खुशी आएगी पहले ग़म उठाना सीख लो, अगर रौशनी पानी है तो घर जलाना सीख लो
लोग मुझसे पूछते हैं तुम शायरी कैसे करते हो, मैं ये कहता हूं किसी से दिल लगाना सीख लो....
--दिलीप-
कौन खुश है इस दुनिया में सबके अपने- अपने गम है।
फर्क बस इतना है किसी के ज्यादा तो किसी के कम है.....
--दिलीप--
हम उन्हें अपना मानते है ये हमारा करम है।
वो कहते है कम बोलो तुम्हे मेरी कसम है।
उन्हें लगता है हम मुस्कुराते है बहुत ज्यादा।
काश वो समझते इस मुस्कुराहट में छुपे कितने गम है....
--दिलीप--
जब हमने अपने दिल का हाल उन्हे सुना दिया।
बड़े प्यार से उन्होंने इस दिल को ठुकरा दिया।
जख्म देकर कहते है, आप चुप क्यों रहते हो।
उन्हें ये नहीं पता की हमें खामोश तुमने ही बना दिया...
--दिलीप--
ये जिन्दगी रोज गुजरती है कई सवालों की तरह।
हमने चाहा उन्हें बस चाहने वालो की तरह।
मेरे ख्वाब इतने कमजोर तो ना थे शायद।
की उन्होंने भुला दिया बेवजह ख्यालों की तरह...
--दिलाप--
यू तो गमों में भी हस लेता था मैं । आज क्यो बेवजह उदास होने लगा हूं मैं।
बरसों से हथेलिया खाली थी मेरी। फिर आज क्यों लगता है सब खोने लगा हूं मैं......
--दिलीप--
छोटी सी जिन्दगी हजार लोग, बिछड़ने के बाद कौन किसको पहचानता है।
अरमां बहुत जल्दी पुरे कर लो, जिन्दगी कब साथ छोड़ दे ये कौन जानता है....
-दिलीप-
ये जिन्दगी भी ना..मंजिल मिलने से पहले साथ छोड़ देती है।
सपने दिखाती हैं बहुत पर हकिकत होने पहले उन्हें तोड़ देती है।
जिनको पाने कि तम्मना हो दिल में, वो पुरी नहीं होती।
और जिसकी ख्वाहिश ना हो उनसे ही रिस्ता जोड़ देती है...
--दिलीप--
मैं जनता हूं ये ख्वाब झूठे है, ये खुशियां अधुरी है।
मगर जिन्दा रहने के लिए, कुछ गलतफहमियां भी जरुरी है...
फर्क बस इतना है किसी के ज्यादा तो किसी के कम है.....
--दिलीप--
हम उन्हें अपना मानते है ये हमारा करम है।
वो कहते है कम बोलो तुम्हे मेरी कसम है।
उन्हें लगता है हम मुस्कुराते है बहुत ज्यादा।
काश वो समझते इस मुस्कुराहट में छुपे कितने गम है....
--दिलीप--
जब हमने अपने दिल का हाल उन्हे सुना दिया।
बड़े प्यार से उन्होंने इस दिल को ठुकरा दिया।
जख्म देकर कहते है, आप चुप क्यों रहते हो।
उन्हें ये नहीं पता की हमें खामोश तुमने ही बना दिया...
--दिलीप--
ये जिन्दगी रोज गुजरती है कई सवालों की तरह।
हमने चाहा उन्हें बस चाहने वालो की तरह।
मेरे ख्वाब इतने कमजोर तो ना थे शायद।
की उन्होंने भुला दिया बेवजह ख्यालों की तरह...
--दिलाप--
यू तो गमों में भी हस लेता था मैं । आज क्यो बेवजह उदास होने लगा हूं मैं।
बरसों से हथेलिया खाली थी मेरी। फिर आज क्यों लगता है सब खोने लगा हूं मैं......
--दिलीप--
छोटी सी जिन्दगी हजार लोग, बिछड़ने के बाद कौन किसको पहचानता है।
अरमां बहुत जल्दी पुरे कर लो, जिन्दगी कब साथ छोड़ दे ये कौन जानता है....
-दिलीप-
ये जिन्दगी भी ना..मंजिल मिलने से पहले साथ छोड़ देती है।
सपने दिखाती हैं बहुत पर हकिकत होने पहले उन्हें तोड़ देती है।
जिनको पाने कि तम्मना हो दिल में, वो पुरी नहीं होती।
और जिसकी ख्वाहिश ना हो उनसे ही रिस्ता जोड़ देती है...
--दिलीप--
मैं जनता हूं ये ख्वाब झूठे है, ये खुशियां अधुरी है।
मगर जिन्दा रहने के लिए, कुछ गलतफहमियां भी जरुरी है...
--दिलीप---
कभी देखा ही नही उनको आँख भर के, रुबरु होते ही उनके पलके झूक जाते है।
कह दो उनसे गुजरे हमारी गलियों से आहिस्ता, कदमों की आहट से धड़कन तक रुक जाते है.....
कह दो उनसे गुजरे हमारी गलियों से आहिस्ता, कदमों की आहट से धड़कन तक रुक जाते है.....
हर तरह से उन्हें मनाया, पर वो इस दिल के पास नही आते।
वो कहते हैं कम बोला करो, ज्यादा बोलने वोले हमे रास नही आते....
वो कहते हैं कम बोला करो, ज्यादा बोलने वोले हमे रास नही आते....
ना जाने क्या ख़ता हुई हमसे, जो हर पल वो इस दिल को आजमाते हैं।
मिलते हैं हर रोज हमसे, कैसे कहें कि हम उन्हें कितना चाहते हैं...
मिलते हैं हर रोज हमसे, कैसे कहें कि हम उन्हें कितना चाहते हैं...
जिन्दगी के रंग भी कितने अजीब होते है, जूदा वही होते है जो अक्सर दिल के करीब होते है।
चाहे जितना तौल ले खुदको वो हीरो से, पर रिस्तो के मामले में वही सबसे गरीब होते है........
चाहे जितना तौल ले खुदको वो हीरो से, पर रिस्तो के मामले में वही सबसे गरीब होते है........
कुछ ऐसी चली किस्मत की आधी, कि हर एक शक्स बेगाना हो गया...
शिकवा किससे करे अपनी तन्हाई का, जब खुद का ही साया अंजना हो गया.....
शिकवा किससे करे अपनी तन्हाई का, जब खुद का ही साया अंजना हो गया.....
हम तो खोए रहते है बस तेरी यादो में, ना जाने तुझे इसकी ख़बर क्यो ना लगी..
मेरा सारा घर जल गया मेरे सोने से, पर मेरी ये आखें तेरे सपनों से ना जगी...........
दिल तोड़ने वालो को दिल टूटने के दर्द का अंदाजा क्या होगा।
उनके लिए आसूओं की अहमियत,पानी की बूंदों से ज्यादा क्या होगा।
उनके लिए आसूओं की अहमियत,पानी की बूंदों से ज्यादा क्या होगा।
सपनो की दूनिया कितनी अजीब होती है। झूठी ही सही पर खुशी नसीब होती है।
बेशक आते हैं सपने बस कुछ पल के लिये। पर इन पलो में ज़िन्दगी ज़न्नत के क़रीब होती है..............
हम तो मौजूद थे अँधेरों में उजालों कि तरह ...
तुमने चाहा हि नहीं चाहने वालों कि तरह....
तुमने चाहा हि नहीं चाहने वालों कि तरह....
आज ज़िन्दगी ने फिर अपना रंग दिखा दिया..अपने रंगो को भरने के लिये हमारे अरमानों को जला दिया......
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