Friday, August 26, 2011

एक दिल की तमन्ना......


आंखों में उनकी सूरत दिल में उनका फसाना है।

ये मेरा नादान दिल बस उन्हीं का दिवाना है।


क्या हुआ जो अभी वो दूर रहा करती हैं मुझसे

एक दिन उन्हें वापस मेरे ही पास आना है।


हर पल इस दिल की बस यही है तमन्ना।

कभी न कभी उन्हें अपना बनाना है।


डर लगता है उन्हें कोई छीन न ले मुझसे

उनकी सूरत को अपनी आंखों में छुपाना है।


मेरे अपने कहते है ए नई नई दिल्लगी है।

क्या जाने वो की ए रोग बहुत पुराना है।


प्यार करने वालों को क्यों मिलती है मौत।

क्यों होता इतना बेदर्द ए जवाना है।


क्यों लोगों ने बनाई है अमीरी गरीबी की दिवार।

सब जानते है इक दिन सबका एक ही ठिकाना है


लोग कहते हैं मेरे चेहरे पर वो हसी न रही।

आज मुझे भी दिल खोलकर मुस्कुराना है।


खुदा तेरा उम्र भर एहसान रहेगा मुझपर।

तुने मुझे जो दिया इतना हसी नज़राना है।

--दिलीप--

Thursday, August 4, 2011

ज़िन्दगी की दौड़ में न जाने मैं कहां आ गया




कुछ रिश्तों को खोया कुछ रिश्तों को पा गया।

ज़िन्दगी की दौड़ में न जाने मैं कहां आ गया।


कभी-कभी इस चकाचौंध से सहम सा जाता हूं।

जब हज़ारों की भीड़ में खुद को तन्हा पाता हूं।


हमारे लिए तो वो बचपन का दिन ही प्यारा था।

टूटा- फूटा ही सही पर वो घर तो हमारा था।


जब देखता हूं मुड़कर आंखे भर जाती हैं।

घर के आंगन में बैठी मां नज़र आती है।


जी करता है मां कहकर गले से लिपट जाऊ।

बिना उनके दिल नहीं लगता है उनकों ये बताऊ।


आंखे खुलते मां का चेहरा धूंघला नज़र आता है।

फिर वहीं अकेले पन का डर मुझकों सताता है।


हकिकत से होते ही रुबरू आंसूओं को बहा गया।

ज़िन्दगी की दौड़ में न जाने मैं कहां आ गया।

---दिलीप---

बस सोच और कुछ नहीं....



हर रोज मिलते हैं हज़ार लोग मुझसे।

एक उन्हीं का चेहरा नज़र आता नहीं है।


जाने मैं खोया रहता हूं किसकी यादों में।

मेरा दिल ए खुद समझ पाता नहीं है।


सपनों में देखता हूं सारे ज़हान को मैं।

खुदा बस उन्हीं का ख़्वाब दिखाता नहीं है।


लोग कहते हैं दुनिया खुबसूरत है बहुत।

तो इन नज़रों को कोई और क्यों भाता नहीं है।


कितनी भी करलू मैं हसने की कोशिश।

फिर भी मेरा चेहरा मुस्कुराता नहीं है।


बिना उनके शायद जी न पाउंगा मैं।

ए बात कोई उनकों क्यों बताता नहीं है।


सुना है सच्चा प्यार हो तो रब भी झुकता है।

तो खुदा उनसे क्यों मुझे मिलाता नहीं है।


मैं जानता हूं ए ख़्वाहिस ए मेरी तम्मना है झूठी।

फिर ए दिल क्यों बिना उनके रह पाता नहीं है।

---दिलीप---






वो जहां रहें खुश रहें

वो जहां रहें खुश रहें ये दिल फरियाद करता है।
हर पल अपनी दुवाओ से उनकों आबाद करता है।
बीच सफ़र में जिसने तन्हा छोड़ दिया था हमे।
जाने क्यों दिल आज भी उन्हीं को याद करता है....
---दिलीप---