Tuesday, May 10, 2011

unka chehra....























मिलते हैं हजार लोग मुझसे एक उन्हीं का चेहरा नजर आता नहीं है।
ये क्या हुआ है मुझे मेरा दिल ही समझ पाता नहीं है।
जब से देखीं है मेरी नजरों ने एक झलक उनकी
ना जाने इस दिल को और कोई क्यों भाता नहीं है....
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दिलीप--

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