Dilip Kumar
Thursday, June 28, 2018
Monday, September 24, 2012
प्यार सबको मिल जाए ये ज़रुरी नहीं....
पर हर पल सबकी ख़्वाहिशे होती पूरी नहीं।
प्यार ज़िन्दगी में हर कोई करता तो है।
पर प्यार सबको मिल जाए ये ज़रुरी नहीं....
--दिलीप--
बचपन के दिन ........
वो दीवाली की रातें वो रंगों की होली।
वो स्कूल की मस्ती वो घर पर शौतानी।
वो परीयों की दूनियां वो दादी मां की कहानी।
वो पापा का गुस्सा वो मां का दुलार।
वो सूखी रोटी के साथ आम का अचार।
वो चोर पुलिस के खेल वो पतंगे उड़ाना।
तब आता था मज़ा जितना बहता था पसीना।
नहीं थी कोई फ्रिक बस ख़ुद में था जीना।
धीरे- धीरे समय गुज़रा फिर बीती जवाना।
मेरा वो हसमुख चेहरा कहीं भूल गया मुस्कुराना।
अब तो वो बारिश बिन मौसम हो जाती है।
जब सोचता हूं बचपन को आंखें नम हो जाती हैं।
ए ख़ुदा मुझपर तू एक एहसान कर दे।
फिर से वही बचपन तू मेरे नाम कर दे।
--दिलीप--
Monday, December 26, 2011
पेट भर खाना नहीं है....
किसी को मिला है इतना की उसे लुटाने का बहाना नहीं है।
और कोई इतना है मजबूर की उसे पेट भर खाना नहीं है।
किसी के आंखों से हर पल बहता है खारा पानी।
कोई एसा भी है जिसकी हंसी का ठिकाना नहीं है।
लोग क्यों तुम्हें(डॉक्टर) खुदा का दूसरा रुप कहते हैं।
जब इक मरते हुए इंसा को तुम्हें बचाना नहीं है।
क्यों तुम कई(सरकार) योजनाएं बनाते हो लोगों के लिये।
जब जरुरत मंदों तक उन्हें तुम्हें पहुंचाना नहीं है।
लोग क्यों एक गरीब को देखते है दूसरी नज़रों से।
जब अपने हिस्से की एक रोटी उन्हें खिलाना नहीं है।
कड़ाके की ठंड है और वो जनता का हितैषी बनते है।
जरा देख कैसे रहते है वो जिनका कोई आशियाना नहीं है।
हर साल इस भूख से मरते है न जाने कितने लोग।
ये कलंक है हमपर, पर हमें इसे मिटाना नहीं है।
खुदा भी बसता है बस अमीरों के घरों में।
इन गरीबों का तो यहां कोई ठिकाना नहीं है...
---दिलीप---
Saturday, December 10, 2011
Saturday, October 1, 2011
क्यों किसी के हिस्से में है खुशी किसी के गम....
किसी की किस्मत में हैं उजाले भरे दिन।
किसी की किस्मत में अंधरे भरी रात है।
किसी की हथेलियां हैं बरसों से खाली।
किसी के हाथों में अपनों का हाथ है।
कोई चाहकर भी नहीं मिल पाता अपनों से।
कोई हर रोज करता अपनों से मुलाकात है।
किसी को नहीं मिलती एक पल की भी खुशी।
किसी को मिलता हर पल हसी सौगात है।
कोई ये नहीं जानता कि ये रोना क्या है।
किसी के आंखों से होती अंसूओं की बरसात है।
क्यों किसी के हिस्से में है गम किसी के खुशी।
जबकी सुना है खुदा रहता सबके साथ है।
---दिलीप--
Friday, August 26, 2011
एक दिल की तमन्ना......
आंखों में उनकी सूरत दिल में उनका फसाना है।
ये मेरा नादान दिल बस उन्हीं का दिवाना है।
क्या हुआ जो अभी वो दूर रहा करती हैं मुझसे
एक दिन उन्हें वापस मेरे ही पास आना है।
हर पल इस दिल की बस यही है तमन्ना।
कभी न कभी उन्हें अपना बनाना है।
डर लगता है उन्हें कोई छीन न ले मुझसे
उनकी सूरत को अपनी आंखों में छुपाना है।
मेरे अपने कहते है ए नई नई दिल्लगी है।
क्या जाने वो की ए रोग बहुत पुराना है।
प्यार करने वालों को क्यों मिलती है मौत।
क्यों होता इतना बेदर्द ए जवाना है।
क्यों लोगों ने बनाई है अमीरी गरीबी की दिवार।
सब जानते है इक दिन सबका एक ही ठिकाना है
लोग कहते हैं मेरे चेहरे पर वो हसी न रही।
आज मुझे भी दिल खोलकर मुस्कुराना है।
खुदा तेरा उम्र भर एहसान रहेगा मुझपर।
तुने मुझे जो दिया इतना हसी नज़राना है।
--दिलीप--